जैन श्वेतांबर श्री संघ एक चैरिटेबल ट्रस्ट है जो सोसाइटी एक्ट 1961 के तहत पंजीकृत है। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है जो शिखरजी (मधुबन) स्थित भोमिया भवन में जैन समुदाय और आगंतुकों के लिए विभिन्न सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करता है।
इस संगठन की मुख्य गतिविधियों में से एक जैन श्वेतांबर पंथ के अनुयायियों के लिए पूजा-सेवा, आवास और भोजन की व्यवस्था करना है, जिससे धर्मानुरागियों की आध्यात्मिक यात्रा सरल और आनंदमय हो सके।
मंदिरों में पूजा-सेवा, उपासना और भक्ति का अनुष्ठान प्रति दिन आयोजित किया जाता है, जिसमें जैन धर्मानुरागियों के नियमित पूजा अर्चना हेतु फूल, चंदन, धूप, दीपक और अन्य सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। इस अनुष्ठान के माध्यम से जैन धर्म की परंपराओं को सजीव बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। यह मनुष्य के जीवन में संयम प्रदान करता है तथा उदार बनने में सहयोग प्रदान करता है।
भोमिया भवन में ठहरने वाले धर्मानुरागियों की सुविधा के लिए उच्च गुणवत्ता वाले आवास और भोजन की व्यवस्था की जाती है। यह सुविधाएं धर्म यात्रियों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रदान की जाती हैं, ताकि उनकी यात्रा सुखद और सुविधाजनक हो।
यह भवन एक विशाल और भव्य इमारत है, जिसमें विभिन्न जैन मंदिर जैसे शांति नाथ जिनालय, भक्तामर मंदिर (जिसमें 44 संगमरमर की पट्टिकाओं पर श्लोकों का विवरण हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी में अंकित है), 108 पार्श्व नाथ भगवान की प्रतिमा, भोमियाजी मंदिर, दादाबाड़ी, शांति गुरुदेव मंदिर और राजेंद्र गुरुदेव मंदिर शामिल हैं।
यहाँ जैन परम्पराओं को समझने तथा साधना के लिए पुस्तकालय भी है । समय-समय पर संघ द्वारा भव्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन आयोजित किया जाता हैं, जहां देश-विदेश से लोग सम्मिलित होते हैं। साधु-संतों एवं साध्वी जी के प्रवास के लिए भव्य अपाश्रय की व्यवस्था है जहां करीब 60 से 80 साधु-संतों एवं साध्वी जी का वास हो सकता है।
यह भवन एक शांत और प्राकृतिक सुंदरता से युक्त स्थान पर स्थित है, जो भारत और विदेशों से आने वाले तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
संघ का उद्देश्य अपने विभिन्न पहल और कार्यक्रमों के माध्यम से जैन धर्म की समृद्ध विरासत और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करना है।